Pochi

Pochi Uttarakhand

पोची मूल रूप से चूड़ियों की तरह होती हैं जो सोने से बनी होती हैं और गढ़वाल के साथ-साथ उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में भी काफी लोकप्रिय हैं। कुमाऊँ में, विवाहित महिलाओं के लिए पोची एक शुभ रत्न माना जाता है। इसे त्योहारों और महत्वपूर्ण पारिवारिक कार्यों के समय पहना जाता है। पोची को आम तौर पर 1 तोला या उससे अधिक में बनाया जाता है, जो दुल्हन के परिवार की आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है। इसमें लाल रंग के कपड़े का उपयोग आधार सामग्री के रूप में किया जाता है, जिस पर शुद्ध सोने के मोती जड़े होते हैं। इनको बनाने के लिए लाल रंग का उपयोग इसलिए किया जाता है, क्योंकि इसे विवाहित महिलाओं के लिए शुभ माना जाता है।

 

 

 

  • सोने से बना यह आभूषण महिलाओं की कलाइयों का आकर्षण बढ़ता है। आज के दौर में भी इसका चलन और इसका आकर्षण कम नहीं हुआ है। वैसे आधुनिक दौर में इसका स्थान कंगन ने ले लिया है। परंतु शादी जैसे समारोह में इसे महिलाओं द्वारा अवश्य ही धारण किया जाता है।
  • विशेष रूप से कुमाऊँ क्षेत्र की महिलाओं के फैशन से बिलकुल भी बहार नहीं हुई है। पोची को हाथ में पहना जाता है और यह दानेदार आकार के सोने के बने होते है, जिन्हें एक शनील के चमकदार कपड़े के ऊपर पिरोया जाता है।
  • मुख्यत: पोची अलग अलग वजन के आधार पर अपनी सुविधा के अनुसार लोग बनवाते है। यह 2 से 5 तोला तक के वजन की बनती है। 
  • अधिक तोले की पोची के दाने बड़े और कम तोले की पोची के दाने छोटे आकार होते हैं। इसी के साथ-साथ इसमें इन दानों को पिरोने के और उसमें उकेरे गए डिजाइनों के आकारों में भी भिन्नता पायी जाती है।
  • पोची के महत्व मुख्यतः शादी जैसे समारोह में देखने को मिलते है। माना जाता है कि जब लड़की की शादी होती है तो उसमें बनने वाले आभूषणों में से एक पोची भी होता है।
  • पोची का स्थान बहुत महत्वपूर्ण होता है, कन्यादान के समय इसे लड़की को गहनों के साथ पहनाया जाता है।