Hasuli

Hasuli Uttarakhand

हंसुली को गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी और भोटिया महिलाओं द्वारा पहना जाता है। इसे गढ़वाली में 'खगवाली' के नाम से भी जाना जाता है। यह एक लोकप्रिय आभूषण है, जिसे गले में पहना जाता है। यह अमूल्य आभूषण त्योहारों, शादियों, मेलों, सामाजिक समारोहों और महत्वपूर्ण पारिवारिक कार्यों के दौरान पहना जाता हैं। यह भव्य आभूषण का टुकड़ा जो अमीर लोगों द्वारा सोने में पसंद किया जाता है और कम अमीर या गरीब द्वारा चांदी में। हंसुली को एक क्लासिक आभूषण का टुकड़ा माना जाता है जो पहाड़ी महिलाओं की सुंदरता को चार चाँद लगाता है।  

लेकिन इस आधुनिक युग में, हंसुली का आकर्षण फीका पड़ रहा है क्योंकि लोग कीमती आभूषणों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। यदि यह ऐसे ही जारी रहेगा तो पारंपरिक आभूषण अपनी इकाई खो देंगे क्योंकि कोई भी इसे नहीं पहनेगा।

 

 

 

  • हंसुली एक प्रकार का गले में पहने जाने वाला आभूषण है। यह महिलाओं के प्रिये आभूषणों में से एक है। यह एक प्रकार का कठोर हार जैसा होता है, यह किनारों से पतला और बीच में से मोटा होता है। 
  • प्राचीन काल में इसे बड़े बुजुर्गों द्वारा बच्चे के जन्म पर दिया जाता था और विवाहित महिलाओं द्वारा भी पहना जाता होता था। इसे एक प्रकार से छोटे बच्चों को उपहार के रूप में दिया जाता था, जिसे हम पारंपरिक प्रेम का प्रतीक कह सकते हैं।
  • मुख्यता यह चांदी का होता है, परन्तु सम्पनता के दौर में कुछ लोग इसे सोने का भी बनवाते है। साथ ही अब इसमें बहुत से डिजाइन भी आ गये है लेकिन अब इन्हें पहनने का रिवाज लगभग खत्म सा हो गया है। 
  • इन्हें प्राचीन समय में अधिक पहना जाता था। यह चांदी से बना जेवर काफी वजनी होता है। लोग अपनी सुविधा के मुताबिक कम या ज्यादा वजन का बनवाते है। महिलाओं और बच्चों के द्वारा पहने जाने वाली हंसुली में अलग तरीके के डिजाइन और अलग तरीके का महत्व होता है। 
  • इसमें बच्चों को पहनाए जाने वाली हंसुली का वजन कम होता था। यह बच्चों के जन्म के समय दादा-दादी या नाना-नानी द्वारा दिया जाता था और इनका वजन कम होता है। इसमें डिजाइन के साथ घुंगरू भी लगे होते हैं।
  • यह विवाहित महिलाओं द्वारा गले में पहना जाता है और इसका वजन बच्चो को पहनाए जाने वाली हंसुली से ज्यादा होता है। महिलाओं द्वारा पहने जाने वाली हंसुली का वज़न लगभग 3 तोला तक होता है। मुख्यत: यह चांदी का होता है लेकिन आजकल यह सोने की भी बनायीं जाती है।