भारत में विविधताओं से भरी संस्कृतियाँ बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखती है ,और इसी प्रकार उत्तराखंडी लोक संस्कृति में कुमाउनी समुदाय के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के परिधान देखे जा सकते है। जो की कुमाउनी संस्कृति में एक विशेष महत्व रखती है। इसी शृंखला में कुमाऊ की शान पिछोड़ा एक बहुत महत्वपूर्ण परिधान माना जाता है। स्थानीय भाषा में रंगवाली भी कहा जाता है।
पिछौड़ा शब्द से ही परम्परा और लोक पक्ष जुड़ा है। इसमें सुहाग और शुभ से संबंधित चीजें उकेरी होती हैं। पिछौड़ा पहनने और इसे बनाने का लिखित तौर पर कुछ नहीं है। यह ऐसी परंपरा है जो हमें विरासत में मिली है।