"नथुली" या "नथ", उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊँ क्षेत्र की महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले आभूषणों में से एक है। इसे पहाड़ी महिलाओं द्वारा नाक में पहना जाता है,जिसे कीमती माणिक और मोतियों से सजाया गया है। यह उत्तराखंड की महिलाओं को विशिष्ट पहचान दिलाती है। यह उत्तराखंड की महिलाओं को विशिष्ट पहचान दिलाती है। इसे सुहाग का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसके बिना महिलाओं का श्रृंगार अधूरा माना जाता है। नथुली या नथ पहाड़ी महिलाओं का आकर्षण है, जो इसकी सुंदर शैली के लिए प्रसिद्ध है। यह उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र की महिलाओं द्वारा पहना जाता है।
इन सभी नथ को इसके जटिल पत्थर के काम और कुंदन के उपयोग की वजह से काफी पसंद किया जाता है। यह विशाल आकार की सोने की सुन्दर रूपांकनों से बनी होती है, जिसमें पुष्प के या उत्सव वाले मोर के डिज़ाइन उकेरे जाते हैं। नथ को नवविवाहितों के दहेज का एक अभिन्न अंग भी माना जाता है।
हर दुल्हन अपनी शादी पर नथुली को पहनने के लिए काफी उत्सुक रहती है, चाहे वह गढ़वाल हो या कुमाऊँ। वैसे तो सभी नथ सुंदर होती हैं, लेकिन जिसने अपनी कलात्मक सुंदरता और पवित्रता के कारण लोगो के मन में अपनी एक छाप छोड़ी है, वह है गढ़वाल की 'टिहरी नथ'। इसमें सुंदर पत्थर के पात्र और विशेष रूप से कुंदन का उपयोग किये हुए कलात्मक मोर और अन्य पुष्प पैटर्न जैसे विस्तृत डिजाइन हैं।