सर्पगंधा एक बारहमासी और एक सदाबहार झाड़ी है। यह वैज्ञानिक रूप से राऊवोल्फिया सर्पेन्टीना (Rauwolfia Serpentina) के रूप में भी जाना जाता है।यह एक व्यापक रूप से ज्ञात औषधीय पौधा है, जिसे एक उपाय उच्च बीपी और एक शामक के रूप में उपयोग किया जाता है। लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि सर्पगंधा का उपयोग सांप के काटने और विष को हटाने के लिए किया जाता है। यह उत्तराखंड के मध्य हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है।
सर्पगन्धा के नाम का शाब्दिक अर्थ है- "सर्प के काटने पर प्रयोग की जाने वाली ओषधि"। सर्प काटने के अलावा इसे बिच्छू काटने के स्थान पर भी लगाया जाता है। इस पौधे की जड़, तना तथा पत्ती से दवा का निर्माण होता है। यह एक छोटा चमकीला, सदाबहार, बहुवर्षीय झाड़ीनुमा पौधा है जिसकी जड़े मृदा में गहराई तक जाती है क्योंकि ये लम्बी होती और इसमें किसी प्रकार की शाखाएं नहीं होती है। इनकी जड़ का रंग मटमैला होता है और पौधे की छाल का रंग पीला होता है। इनकी पत्तियां गुच्छेदार तथा डन्ठलयुक्त होती हैं। इनके हरे फल पकने पर बैंगनी काले रंग के हो जाते हैं। यह निचले हिमालय, पूर्वी और पश्चिमी घाट और अंडमान में बढ़ता है। ऐसा कहा जाता है कि अलेक्जेंडर द ग्रेट ने सर्पगंधा का इस्तेमाल टॉलेमी को ठीक करने के लिए किया था, जब वह एक जहरीले तीर की चपेट में आ गया था। इस पौधे का नाम चीनी ग्रंथों में भी मिलता है।
सर्पगंधा के लिए निम्नलिखित मान्यताये मानी जाती है:
- ऐसा माना जाता है कि कोबरा सर्प (जहरीला सर्प) और नेवला के मध्य युद्ध के पूर्व नेवला सर्पगंधा की पत्तियों का रस चूसकर युद्ध के लिए ताकत प्राप्त करता है।
- दूसरी मान्यता के अनुसार सर्प के दंश के घायल हुए व्यक्ति को सर्पगंधा को पीस कर उसके तलवो पे लगाना चाहिए,इससे आराम मिलता है।
- ऐसा भी माना जाता है की यदि कोई व्यक्ति पागल हो जाये तो उसे सर्पगंधा को औषधि के रूप में देना चाहिए। इसी कारण इसे पागल की दवा भी कहा जाता है।
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अंग्रेजी नाम - सेपेंटीना जड़
हिंदी नाम - हरकाई चंद, नकुलिकंद, रसनाखेड़
कन्नड़ नाम - सर्पगंधी, चंद्रिका, सुतरणभि,
बिहारी नाम - चंदमारुआ, धनमारुआ, सनाचंदो, इसराज
तेलुगु नाम - दमपरसन, पाताल गरुड़, पातालगानी
बंगाली नाम - चंदर, नकुली, छोटचंद
मराठी नाम - अदकेय, आदकैय
गुजराती नाम - अमलपोडी, अमलपडी, नोरबल
तमिल नाम - कारपाकांता, कोवन्ना मिलापदी
- सर्पगंधा का उपयोग गठिया, एडिमा और आंतों की बीमारियों जैसे अन्य स्थितियों में प्रभावी रूप से किया जाता है।
- सर्पगंधा को संतकूट के रूप में भी जाना जाता है। सांप के काटने पर सर्पगंधा को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- सर्पगंधा में मौजूद रिसर्पाइन एंड्रोजेनिक नसों में कैटेकोलामाइन के स्तर को कम करके उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद करता है।
- सर्पगंधा तंत्रिका तंत्र पर सीधे असर डालती है ,क्योंकी इसमें शांत गुण होते हैं और जिससे अनिंद्रा जैसी समसयाओ से निजात मिलती है। और इससे व्यक्ति को नींद आने में मदद मिलती है।
- सर्पगंधा वायुविकार संबंधी बीमारियों के लिए भी फायदेमंद होता है तथा पेट दर्द के दौरान या एनोरेक्सिया वाले लोगों में भूख बढ़ाने में भी सहायक होता है।
- सर्पगंधा की जड़ का रस त्वचा से विषैले पदार्थों को हटाने के लिए फायदेमंद है। यह तेल की ग्रंथियों से अतिरिक्त स्राव को कम करने में भी मदद करता है और इस प्रकार त्वचा में होने वाले दाने और फोड़े से मुक्ति मिलती है।
- सर्पगंधा मानसिक बीमारियों के लिए भी एक अच्छी ओषधि मानी जाती है। इसी गुण के कारण इसे पागलपन की दवाई के रूप में उपयोग किया जाता है।
- यह त्वचा की कई अन्य समस्याओं के लिए भी एक अच्छा समाधान है।एक प्रकर की एलर्जी से भी निजात मिलती है।
- सर्पगंधा पुरुषों में शीघ्रपतन को कम करने में मदद करता है। सर्पगंधा शीघ्रपतन और उत्तेजना को दूर करने के लिए भी बहुत कुशल है।
- सर्पगंधा की जड़ो का रस स्त्रियों के लिए बहुत हे लाभ दायक है इसके रस को पीने से मासिक धर्म में होने वाली सभी तकलीफे दूर होती है।
- इस जड़ी बूटी का उपयोग दुनिया के कई हिस्सों में सांप (कोबरा), बिच्छू, सरीसृप के काटने और किसी भी जहरीले कीड़े के डंक के इलाज के लिए किया जाता है।
- सर्पगंधा में शरीर में वात और पित्त दोष को संतुलित करने का गुण होता है।
- इस जड़ी बूटी में हृदय की दर को कम करने की क्षमता होती है और रक्तचाप कम करने के साथ रक्त वाहिकाओं को पतला करता है।
- सर्पगंधा अक्सर विभिन्न देशों में शामक और ट्रैंक्विलाइज़र के रूप में उपयोग किया जाता है।
- शूल और हैजा के लिए सर्पगंधा शांत कुशल जड़ी बूटी भी है।
- इस पौधे की जड़ मुश्किल प्रसव में दी जाती है,सर्पगंधा गर्भाशय के संकुचन में उपयोगी होती है।
- सर्पगंधा का उपयोग अट्रैक्टिव स्किन डिसऑर्डर के उपचार में भी किया जाता है जैसे कि सोराइसिस, अत्यधिक पसीना और खुजली।
- सर्पगंधा वृद्धावस्था में होने वाले में दिल की धड़कन के संतुलन के लिए उपयोगी है।
- सर्पगंधा में गोइटर रोग के उपचार की क्षमता है।