हिसालु गोल्डन हिमालयन रास्पबेरी या येलो हिमालयन रास्पबेरी के रूप में पहाड़ी फल है,रंग के आधार पर मुख्यतः तीन प्रकार का होता है। परन्तु हिमालयी और उत्तराखंड के क्षेत्रों में पाया जाने वाला यह फल मुख्य रूप से नारंगी होता है। बहुत नाजुक यह फल एक बाहरी आवरण से ढका रहता है। पहाड़ो में हर जगह इसकी यह प्रजाति पायी जाती है।
गोल्डन हिमालयन रास्पबेरी एक बड़ा झाड़ीदार पेड़ है । इसकी पत्तियाँ ट्राइफोलिएट, अण्डाकार, या लम्बी सीटी के साथ ओब्लेट और दांतेदार होती हैं। इसके फूल छोटे, सफेद होते हैं, और पांच पंखुड़ियों वाले होते हैं और गुच्छों में उगते हैं, और हिमालय में फरवरी और अप्रैल के महीनों में खिलते हैं। इसके फल मीठे और पक्षियों और हाथियों द्वारा अत्यधिक खाये जाने वाले होते हैं। रूबस एलिप्टिपिकस (हिसालु) स्वाद के लिए मीठा होता है।
ऐसी ही वनस्पतियों को यदि रोजगार से जोड़ा जाए तो कुछ तो स्थानीय निवासियों और वह पर रोजगार हेतु लोगो को बहुत ही फायदा होगा। ऐसी वनस्पतियों को यदि रोजगार से जोड़े तो शायद इसमें मेहनत भी कम हो सकती है क्योंकि यह स्वतः ही पैदा हो जाने वाली जंगली वनस्पतियो में से एक है।
उत्तराखंड ऐसी जड़ी बूटियों फल फूल और ऐसे ही कई वनस्पतियों से परिपूर्ण है किंतु हम इनका सही उपयोग नही करते। इसका पूरे विश्व मे लगभग 580 टन उत्पादन किया जाता है, किन्तु भारत का इस लिस्ट में कही भी नाम नही है जबकि भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में यह स्वतः ही उग जाता है, चाहे उत्तराखण्ड हो हिमाचल हो सिक्किम हो हर पहाड़ी क्षेत्रों में यह फल पाया जाता है।