गिलोय की एक बहुवर्षिय लता होती है। आयुर्वेद में इसे ज्वर की महान औषधि माना गया है एवं जीवन्तिका नाम से जाना जाता है। गिलोय की लता जंगलों, खेतों की मेड़ों, पहाड़ों की चट्टानों आदि स्थानों पर सामान्यतः कुण्डलाकार चढ़ती पाई जाती है। नीम, आम्र के वृक्ष के आस-पास भी यह मिलती है। जिस वृक्ष को यह अपना आधार बनाती है, उसके गुण भी इसमें समाहित रहते हैं। इस दृष्टि से नीम पर चढ़ी गिलोय श्रेष्ठ औषधि मानी जाती है।
इसकी पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फास्फोरस और तने में स्टार्च पाया जाता है। यह वात, कफ और पित्तनाशक होती है। गिलोय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। साथ ही इसमें एंटीबायोटिक और एंटीवायरल तत्व भी होते है। औषधीय गुणों के आधार पर नीम के वृक्ष पर चढ़ी हुई गिलोय को सर्वोत्तम माना जाता है क्योंकि गिलोय की बेल जिस वृक्ष पर भी चढ़ती है वह उस वृक्ष के सारे गुण अपने अंदर समाहित कर लेती है तो नीम के वृक्ष से उतारी गई गिलोय की बेल में नीम के गुण भी शामिल हो जाते हैं अतः नीमगिलोय सर्वोत्तम होती है।
संस्कृत - गुदुची, अमृता, सिनोदभवा (छिन्नोगवा)
पंजाबी- गल्लो
तेलुगु -टिप्पा टीगा
तमिल- शिन्डिलाकोड़ि , शिवम
मलयाल- अमृता बल्ली
हिंदी- गेलोय (गिलोय)
गुजराती- लाक, गारो, गादु वेल
बंगाली- गुलोचो
मराठी: गुडुची (गूडोची), गुवेल
ओडिया: गुलुची
मणिपुरी नाम - निंगथोउ, खोंगली
उर्दू- गुर्च ,गुलुन्चा
- गिलोय को ज्वरनाशक के रूप में जानी जाती है । दवाइयों के सेवन करने के बाद भी यदि बुखार काम नहीं हो रहा ही तो गिलोय का नियमित प्रयोग करना चाहिए इससे शीघ्र ही ज्वर से मुक्ति मिलती है।
- यदि डेंगू बुखार आ रहा हो तो उसके लिए मरीज को गिलोय घनवटी दवा का सेवन करना चाहिए तो बुखार में आराम मिलता है।डेंगू बुखार में गिलोय का काढ़ा सर्वोत्तम मन जाता है।
- जिनकी आंखों की रोशनी कम हो रही हो, उन्हें गिलोय के रस को आंवले के रस के साथ मिलकर सेवन करने से आँखो की रौशनी बढ़ती है तथा अन्य तकलीफे भी दूर होती है।
- गिलोय का प्रयोग वात, पित्त और कफ तीनो विकारो से यह मुक्ति दिलाता है। गिलोय के रस का नियमित रूप से सेवन करने से पाचन तंत्र ठीक रहता है। गिलोय शरीर में रक्त कणिकाओं को तेजी से बढ़ाता है।
- मधुमेह अर्थात डायबिटीज की समस्या वाले रोगियों के लिए गिलोय बहुत ही फायदेमंद होती है। नितमित सेवन से रक्त में शर्करा का स्टार काम होता है।
- मोटापे की समस्या से पीड़ित व्यक्तियों को गिलोय के रस का सेवन करना चाहिए , इसके एक चम्मच रस में एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम लेने से मोटापा दूर हो जाता है।
- गिलोय में एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ते है , गिलोय किडनी और लिवर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल रक्त को साफ करती है।
- नीम के पत्तो व आंवले के साथ गिलोय का काढ़ा बनाकर पीने से हाथ पैरों और शरीर की जलन दूर हो जाती है।
- गिलोय के पत्तों के रस को गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है। साथ ही गिलोय को पानी में घिसकर और गुनगुना करके दोनों कानों में दिन में 2 बार डालने से कान का मैल निकल जाता है।
- गर्मियों के मौसम में यदि उल्टी आने की शिकायत हो तो गिलोय के रास को लेने से उल्टी आने की समस्या से निजात मिलती है।
- गिलोय के रस या गिलोय के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से पेट से संबंधित सभी रोग ठीक हो जाते है।
- गिलोय और शतावरी को साथ पीस कर एक गिलास पानी में मिलाकर पकने के बाद जब उबाल कर काढ़ा आधा रह जाये तो इस काढ़े को सुबह-शाम पीने से पेट की तकलीफो से निजात मिलती है।
- इसके लिए गिलोय के पत्तों को हल्दी के साथ पीसकर खुजली वाले स्थान पर लगाने से या सुबह-शाम गिलोय का रस शहद के साथ मिलाकर पीने से खुजली से मुक्ति मिलती है ।
Kingdom |
Plantae |
Order |
Ranunculales |
Family |
Menispermaceae |
Genus |
Tinospora |
Species |
T। cordifolia |
Binomial name |
Tinospora cordifolia |