Neelkanth Mahadev

Neelkanth_Mahadev Uttarakhand

नीलकंठ महादेव मंदिर, भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन पवित्र मंदिर है, जो कि उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में ऋषिकेश के स्वर्गाश्रम (राम झुला या शिवानन्द झुला) से कुछ किलोमीटर की दुरी पर मणिकूट पर्वत की घाटी पर स्थित है। मणिकूट पर्वत की गोद में स्थित मधुमती (मणिभद्रा) व पंकजा (चन्द्रभद्रा) नदियों के ईशानमुखी संगम स्थल पर स्थित नीलकंठ महादेव मन्दिर एक प्रसिद्ध धार्मिक केन्द्र है। नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश के सबसे पूज्य मंदिरों में से एक है। यह मंदिर समुन्द्रतल से 1675 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। नीलकंठ महादेव मंदिर में बड़ा ही आकर्षित शिव का मंदिर बना है।

 

 

 

 

  • हिंदु मान्यताओं के अनुसार, हजारों साल पहले अमृत पाने की लालसा लिए देवताओं और असुरों के बीच समुद्रमंथन हुआ था। इस मंथन में अनेकों चीजें निकली। जिसे देवताओं और असुरों ने आपस में बांट लिया, लेकिन अमृत नहीं निकला, इसी बीच हलाहल विष उसमें से बाहर निकला, ऐसी मान्यता थी कि जब तक कोई विषपान नहीं कर देता, अमृत मंथन से बाहर नहीं आएगा। सभी देवता और असुर एक-दूसरे को ताकने लगे। कोई भी विष को पीने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। ऐसे में सृष्टि की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ने वह हलाहल विष ग्रहण किया ,कहा जाता है कि विष पीने के बाद भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में हे रखा जिस कारण उनका गला नीला पड़ गया था। इसीलिए भगवान शिव को नीलकंठ कहा जाने लगा । जिस स्थान पर शिव ने विष पान किया, उसी पवित्र बिंदु पर नीलकंठ महादेव का मंदिर स्थापित है।
  • भक्तजनो द्वारा कहा जाता है कि भगवान शिव जितनी जल्दी प्रसन्न होते हैं, उतनी ही जल्दी क्रोधित भी हो जाते हैं। इसीलिए शिव को भोलेनाथ और रुद्रनाथ दोनों ही रुप में जाना जाता है।
  • नीलकंठ महादेव मंदिर में बहुत ही सुन्दर वास्तु कला से अत्यन्त मनोहारी मंदिर शिखर के तल पर समुद्र मंथन के दृश्य को चित्रित किया गया है और गर्भ गृह के प्रवेश-द्वार पर एक विशाल चित्र में भगवान शिव को विष पीते हुए भी दिखलाया गया है।
  • सामने की पहाड़ी पर शिव की अर्धांगिनी ,माता पार्वती जी का मंदिर है। नीलकंठ महादेव मंदिर के मुख्य द्वार पर द्वारपालो की प्रतिमा बनी है । मंदिर परिसर में कपिल मुनि और गणेश जी की मूर्ति स्थापित है ।
  • फरवरी से मार्च माह के बीच महाशिव रात्रि और जुलाई से अगस्त माह के बीच सावन के महीने में यहां बड़ी संख्या में कांवडि़ये आकर शिव के दर्शन करते हैं।भक्त अपने आराध्य शिव को बेल पत्ती, नारियल, फूल, शहद, फल और गंगा जल चढावे के रुप में अर्पित करते हैं।
  • मंदिर में शिवरात्रि और सावन में श्रधालुओ की काफी भीड़ लगी रहती है  अन्य शिव मंदिर की तुलना में नीलकंठ महादेव मंदिर में चांदी से बने शिवलिंग का काफी नजदीक से दर्शन कर सकते है ।
  • मंदिर प्रांगण में अखंड धुनी जलती रहती है और उस धुनी की भभूत को श्रद्धालु प्रसाद के तौर पर लेकर जाते है ।
  • ऐसा भी कहा जाता है यदि जिन लोगो के पास चार धाम के बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के दर्शन करने के लिए समय नहीं होता है , तो उन्हें नीलकंठ महादेव मंदिर के दर्शन जरुर करने चाहिए ।
  • स्वार्ग आश्रम से नीलकंठ तक की 12 किलोमीटर की दूरी भी ट्रेकर्स के लिए एक आदर्श स्थान है। यह स्थान, पवित्र मंदिर के लिए जाना जाने के अलावा, घाटियों, पहाड़ों, जंगलों और नदियों से घिरा एक मनोरम स्थल और एक अद्भुत स्थल होने के लिए भी प्रसिद्ध है।
  • मंदिर में एक प्राचीन वास्तुकला और एक सुंदर परिसर है, जिसमें एक प्राकृतिक झरना है जहां भक्त मंदिर के परिसर में प्रवेश करने से पहले पवित्र स्नान करते हैं।
  • मंदिर के गर्भगृह में ’शिव लिंगम’ है, जो एक मूर्ति के रूप में पीठासीन देवता की मूर्ति है।
  • जो भक्त नीलकंठ महादेव ’की यात्रा करते हैं, वे भगवान को नारियल, फूल, दूध, शहद, फल और जल का चढ़ावा चढ़ाते हैं और भगवान से पवित्र वर,वरुशी (राख) प्राप्त करते हैं।
  • मंदिर के बारे में एक विशेष आभा है, जो भक्तिपूर्ण दिलों को आकाशीय आनंद से भर देती है। यही कारण है कि हर साल हजारों भक्तों द्वारा इसका दौरा किया जाता है।

 

नीलकंठ महादेव मंदिर अपने प्रियजनों के साथ एक समय बिताने लिए एक बेहतरीन स्थान है। इस लोकप्रिय पर्यटन स्थल का आनंद लेने के लिए दूर-दूर से भक्तजन यहां आते है।