Panchhee Panchak

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अरे जागा जागा कब बिटि च कागा उड़ि उड़ी
करी...‘काका’ ‘काका’ घर घर जगोणू तुमसणी।
उठो गैने पंछी करण लगि गैने जय जय,
उठा भायों जागा भजन बिच लागा प्रभुजि का।
धुगूती धुगूती धुगति धुगता की अति भली
भली मीछी बोलो मधुर मदमाती मुदमयी।
हरी डांड्यो धुनि पर धुनि जो छ भरणीं
हरी जी की गाथा हिरसि हिरसी स्या च करणीं।
‘कुऊ कूऊ कुऊ कुउ कुउ कुऊ कूउ कुउऊ’
छजो धारू धारू बणु बणु बिटी गूंजण लगीं।
हिलांसू की प्यार जिउ खिंचण बारी रसभरी
सुरीली बोली स्या स्तुति भगवती जी कि करद।
...‘तुही तूही तूही’ सुरम बणु मां सार सिंचिक,
पुराणू शास्त्रू को मरम मय बोली बिमल मां।
प्रभू की ख्याती कोयल च करणीं तार सुर से
”तु तूही में तूही महि सब हि तूही तुहि तुही“
टिटो7 च्यौलो म्यौली छितरि तितरी ढैंचु मंडकी
रसीली तानू कू भरि भरि हरी जी कु भजद।
उठा प्यारों प्यारी भिनसरि कि लूटा विभक्ता,
छ जो छाई नाना प्रकृति जननी का रहसु से।।

Aatma Raam Gairola