बगत बितती रैन
मनखी बदली गैन
नौऊँ त खूब छाई
पर अब काम निरपट ह्वैन
अब भी भरोसू
करूँ त क्नक्वै
यि काबिल क्वै मिलदा ही नि
या इनि बोलू कि
यि काबिल इनोन अफू ते नि छोड़ी
जरा सुणा 'जनपथ' मा सब अपणा हून्दन
अपणा ही हून्दन,
दूसरौ का दगड़ा नि रन्दीन
अफू मा हि रेन्दा
अपणी ही सोचदा
अफू ही खान्दा अर इतदा खान्दा कि
क्टयै भी नि लग्दू इन मास्तो तें
विश्वास त नि रैन
अब बगत भी ऐगै
छ्वाड़ो यु तें अर स्वाचो नयी
नई व्यवस्था ही कुछ फेरबदल कर सकदी
अर द्यै सकदी समाज तें नयु आमाम
त किले ना कि हम एक ह्वै कै
एक नई शुरुआत करुला।