रानीखेत भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख पहाड़ी पर्यटन स्थल है। यह उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जनपद के अंतर्गत आता है। रानीखेत बहुत ही सुन्दर हिल स्टेशनमें से एक है। रानीखेत से हिम से ढकी हिमालयी श्रृंखलाएं साफ दिखाई देती है। यह सुन्दर फलो के उद्यांन है, यहा पर देवदार और बलूत के वृक्षों की अधिकता पायी जाती है, इन्ही सुन्दर दृश्यो को देखकर यह बहुत शांति का अनुभव होता है। यह पर फौजी छावनी भी स्थित है, रानीखेत में 1869 में ब्रिटिश सरकार ने कुमाऊं रेजिमेंट के मुख्यालय की स्थापना की, उस समय गर्मी से बचने के लिए इस स्थान को हिल स्टेशन के रूप में अंग्रेजो द्वारा उपयोग किया जाता था।
रानीखेत नाम की बात की जाये तो इसका नाम एक स्थानीय लोककथा से लिया गया है, इसके अनुसार इसी स्थान पर कत्यूरी राजा सुधारदेव ने अपनी रानी का दिल जीत लिया था, इसी कारण इसका नाम रानीखेत पड़ा। परन्तु यहा पर किसी भी प्रकार के राजमहल के होने के कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिलते है
3 मई 1815 को अंग्रेजो ने गोरखाओ से कुमाऊ का क्षेत्र ले लिया,अल्मोड़ा पर विजय प्राप्ति के बाद, 1839 तक अंग्रेजी सेना के सैनिक और अधिकारी हवलबाग में रहते थे। बाद में सेना के कार्यालयों को अल्मोड़ा स्थानांतरित किया गया और सेना को लोहाघाट और पिथौरागढ़ में तैनात कर दिया गया। इस सेना को ही बाद में कुमाऊं बटालियन कहा जाने लगा। 1846 में इसे वापस अल्मोड़े के लालमांडी किले में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां यह रानीखेत छावनी बनने तक तैनात रही।
भारत की स्वतंत्रता के बाद से ही अल्मोड़ा जिले को पृथक कर लोगो द्वारा अलग रानीखेत जिला बनाने की मांग उठती रही है। 1960 के दशक से ही रानीखेत जिले के लिए आंदोलन प्रारम्भ हो गए थे, और 1985 तक इन आंदोलनों ने बहुत हे बल पकड़ा । अंततः 1986 में उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद के अध्यक्ष वैंकट रमानी की समिति ने 2 वर्ष बाद 1989 में आठवें वित्त आयोग ने जिले को वित्तीय मंजूरी भी प्रदान कर दी। इसके बाद भी जब जिले का गठन नहीं हुआ, तो 1993-94 में पुनः एक आंदोलन शुरू हो गया, जिसके बाद उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने पहल की, और रानीखेत में सीओ तथा एडीएम की नियुक्ति की गई।
2007 में प्रशासन ने राज्य सरकार को रानीखेत जिले का आधिकारिक प्रस्ताव भेजा। 2010 में भी अधिवक्ताओं के नेतृत्व में एक बड़ा जन आंदोलन हुआ,जो की आठ महीने तक चला इसके बाद 2011 में उत्तराखण्ड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल ने अल्मोड़ा जिले की रानीखेत, सल्ट, भिकियासैंण, द्वाराहाट, और चौखुटिया तहसीलों से रानीखेत जिले की घोषणा की थी, परन्तु गजट नोटिफिकेशन जारी न होने के कारण जिला अस्तित्व में नहीं आया।