अपणुं सी दिखेंणु छे रे, लगणुं भल सि मौ को छे
अपणुं सी दिखेंणु छे रे, लगणुं भल सि मौ को छे
कां बे ऐ रे पहाड़ी भुला, के जिला के गौं को छे? के जिला के गौं को छे?
गढवालि कुमौं नि हूं ना, भुला, ना भोला-भाला हूं, गढवालि कुमौं नि हूं, ना भुला, ना भोला-भाला हूं
मेरे को पहाड़ी मत बोलो मैं देहरादूण वाला हूं, देहरादून वाला हूं
चुक्खुवालो छे के, धाम्वालो छे के, लच्छीवाला, जोगी वाला, हर्रावाला छे?
कखन ऐ रे पहाड़ी भुला, के जिला के गौं को छे? के जिला के गौं को छे?
पहाड़ मैं गया बि नै हूं, देस में ही रहा सदानि , पहाड़ में गया बि नै हूं, देस में ही रहा सदानि
कोदा झंगोरा चाक्खा भि ने कबि, पिया नें छुयों का पानि
ना गोर चराये मैंने, ना हौल लगाया, मैं तो कोठी बंगले वाला हूं
पहाड़ी - पहाड़ी मत बोलो जी देहरादूण वाला हूं, देहरादून वाला हूं
मिय्यांवालो छे के, मोथरोवालो छे के, मेहूंवालो, मूह्ब्बेवाले, मक्कावालो छे?
कां बे ऐ रे पहाड़ी भुला, के जिला के गौं को छे? के जिला के गौं को छे?
दादा परदादा रये होंगे पहाड़ में कभि के जमाना, दादा परदादा रये होंगे पहाड़ में कभि के जमाना
देस में ही पैदा हुए हम, सच्च मा ना जाना माना
न पहाडी चीज भाती मुझको, न पहाड़ी बोली आती है ना, बींगता-बच्याता हूं
मेरे को पहाड़ी मत बोलो जी देहरादूण वाला हूं, देहरादून वाला हूं
सुद्दवालो छे के, जस्सोवालो छे के, पित्थूवालो, नत्थूवालो, तुन्नवालो छे?
कां बे ऐ रे पहाड़ी भुला, के जिला के गौं को छे? के जिला के गौं को छे?
कपड़े मेरे साहबों जैसे, भाषा कान्वेन्ट वाली ,
कपड़े मेरे साहबों जैसे, भाषा कान्वेन्ट वाली
बथाओ अब किस एंगल से लग रहा हूं मैं गढवाली
शहरी हूं गंवार न समझो, जिन्स को सुलार न समझो, मोटरसेकिल वाला हूं
पहाड़ी पहाड़ी मत बोलो जी देहरादून वाला हूं, देहरादून वाला हूं
ब्राह्मणवालो छे के, बंजारावालो छे के, बालावाला, भाऊवाला, भनियावालो छे?
कखन ऐ रे पहाड़ी भुला, के जिला के गौं को छे? के जिला के गौं को छे?
रंग भी गोरा चिट्टा मेरा, कद भी लम्बा-ऊंचा है,
रंग भी गोरा चिट्टा मेरा, कद भी लम्बा-ऊंचा है
हीरो जैसा लगता हूं, मैने दगड़ियों से पूछा है
पहाड़ी भुला कहके मेरी बेज्जती क्यूं करते हो मैं, भौत इज्जत वाला हूं
मेरे को पहाड़ी मत बोलो जी देहरादूण वाला हूं, देहरादूण वाला हूं
सुन्दरवालो छे के, बनियावालो छे के, आमवाला, जामुनवाला, डालनवालो छे?
कां बे ऐ रे पहाड़ी भुला, के जिला के गौं को छे? के जिला के गौं को छे?
कखन ऐ रे पहाड़ी भुला, के जिला के गौं को छे? के जिला के गौं को छे?
मेरे को पहाड़ी मत बोलो जी देहरादूण वाला हूं, देहरादूण वाला हूं
पहाड़ी – पहाड़ी मत बोलो जी देहरादूण वाला हूं, देहरादून वाला हूं
पहला व्यक्ति – तुम अपने जैसे ही लग रहे हो, अच्छे परिवार के लगते हो।। कहाँ से आये हो भाई, किस जिले के हो?
दूसरा व्यक्ति – ना! ना! मैं ना गढवाली हूँ, ना ही कुमाऊनी।।। मुझको पहाड़ी समझने की भूल मत करना मैं तो देहरादून का रहने वाला हूँ।।
पहला व्यक्ति - देहरादून के विभिन्न इलाकों या मोहल्लों के नाम लेकर पूछ्ता है कि वह इनमें से किस जगह का है।
दूसरा व्यक्ति – मैं तो कभी पहाड़ गया भी नहीं हूँ हमेशा देश (मैदानी इलाके) में रहा, कोदा-झंगोरा जैसे पहाड़ी अनाज मैंने कभी नहीं खाए। ना मैंने गाय-भैंस चराए ना झरनों का पानी पिया।। भई मैं तो कोठी-बंगले में रहता हूँ।। (हो सकता है कि) मेरे दादा परदादा रहे होंगे पहाड़ में किसी जमाने में। मैं तो देश में ही पैदा हुआ, मुझे पहाडी चीज भाती नहीं है। मैं पहाड़ी बोली भी बींगता-बच्याता (समझना-बोलना ) नहीं हूं।
देखो मेरे कपड़े साहबों जैसे हैं भाषा कान्वेन्ट वाली है। बताओ भला तुम्हे किस एंगल से मैं गढवाली लग रहा हूं?
भाई मैं शहरी हूं गंवार मत समझो, तुम तो जींस को सलवार बताने पर तुले हो, क्या तुम देख नही रहे हो मेरे पास मोटरसाइकिल भी है।। मेरा रंग गोरा चिट्टा कद लम्बा-ऊंचा है। मेरे दोस्त कहते हैं कि मैं हीरो जैसा लगता हूं। तुम यूं ही पहाड़ी भुला कहके मेरी बेइज्जती क्यूं कर रहे हो, देखो मैं बहुत इज्जत वाला हूं।। तुम मुझे पहाड़ी मत समझो मैं देहरादून वाला हूँ।..