Kanu Ladik Bigadi Myaru Bvari Kair Kee

Kanu_Ladik_Bigadi_Myaru_Bvari_Kair_Kee Uttarakhand

कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की,

कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की

कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की

कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की, कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की

छुईं अपणि खैर की

नथुली बेची पढ़ाई-लिखाई, नथुली बेची पढ़ाई-लिखाई

पुंगड़ि बेचि कि मिल ब्वारी काई

सोचि छो ब्वारी को सुख द्येखुलूं, डोला बटी ब्वारी भयां भी नि आई

नौना दगड़ि चल गै देस बौगा मारि की

कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की, छुईं अपणि खैर की

ब्वारी बिचरि लै यनु जाप काई, ब्वारी बिचरि लै यनु जाप काई

सैंत्यूं नौनु भी बस माँ नि राई

 

अब त हमथें पछैण्दू बी नि छ , अपणु ही सोनु खोटु ह्वै ग्याई

क्या पाई येका बाना मिन ज्यू मारि की

कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की,

कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की, कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की

छुईं अपणि खैर की

छौंति ब्वारी स्यू चौन डांड्यू जाणूं,छौंति ब्वारी स्यू चौन डांड्यू जाणूं

डोकरी पुंगड़ियों मा हडग्यूं तुणाणूं, लैदा कीदां ये घौरें जानदीना

मि स्यूं चाउ बांझा भैंसूं चरानू , सतियों सम्भाल्यूं लि जान्दिना झाड़ि काट की

कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की,

भलि-बुरी चीज लोगूं की ऐनी , भलि-बुरी चीज लोगूं की ऐनी

मिल दुई दाणि चनौ की नि पैनी, हमखुणि सेवा सौणि भी हर्ची

समधण्यौं थैनि मनीओर्डर गैनी, क्या पायी येका बाना मिल्ज्यू मार की

कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की,

 

 

कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की, कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की

छुईं अपणि खैर की छुईं अपणि खैर की.....

 


पुरुष : कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की, कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की
कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की

महिला : कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की, कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की
छुईं अपणि खैर की

पुरुष : नथुली बेची पढ़ाई-लिखाई, नथुली बेची पढ़ाई-लिखाई
पुंगड़ि बेचि कि मिल ब्वारी काई

महिला : सोचि छो ब्वारी को सुख द्येखुलूं,सोचि छो ब्वारी को सुख द्येखुलूं
डोला बटी ब्वारी भयां भी नि आई

पुरुष : नौना दगड़ि चल गै देस बौगा मारि की

समवेत स्वर: कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की, कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की

महिला : ब्वारी बिचरि लै यनु जाप काई, ब्वारी बिचरि लै यनु जाप काई
सैंत्यूं नौनु भी बस माँ नि राई

पुरुष: अब त हमथें पछैण्दू बी नि छ, अब त हमथें पछैण्दू बी नि छ,
अपणु ही सोनु खोटु ह्वै ग्याई

महिला : क्या पाई येका बाना मिन ज्यू मारि की

समवेत स्वर: कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की, कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की

पुरुष : भलि-बुरी चीज लोगूं की ऐनी , भलि-बुरी चीज लोगूं की ऐनी
मिल दुई दाणि चणौ की नि पैनी,

महिला: हमखुणि सेवा सौणि भी हर्ची, हमखुणि सेवा सौणि भी हर्ची
समधण्यौं थैनि मनीओर्डर गैनी

पुरुष : क्या पायी येका बाना कर्ज पात की

समवेत स्वर: कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की, कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की

महिला : छौंदि ब्वारी स्यू चौन डांड्यू जाणूं, छौंदि ब्वारी स्यू चौन डांड्यू जाणूं
डोकरी पुंगड़ियों मा हडग्यूं तुणाणूं,

पुरुष : लैदा कीदां ये घौरें जानदीना, लैदा कीदां ये घौरें जानदीना
मि स्यूं चाउ बांझा भैंसूं चरानू,

महिला : सतियों सम्भाल्यूं लि जान्दिना झाड़ि काट की

समवेत स्वर: कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की, कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की
कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की, कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की...

यह गीत एक पुराने जोड़े के दर्द के बारे में बताता है जिसका बेटा उन्हें अकेला छोड़ गया है। वे याद करते हैं कि कैसे उन्होंने अपनी कीमती ज्वैलरी बेची है ताकि उनका बेटा पढ़ाई कर सके, उन्होंने कर्ज लिया और कीमती जमीन बेची ताकि वे अपने बेटे की शादी कर सकें। उन्हें लगता था कि उनकी बहू उनकी देखभाल करेगी और वे अपने बुढ़ापे में सुख से रहेंगे। लेकिन उनकी बहू ने अपने बेटे को गांव से दूर जाने के लिए मजबूर कर दिया और अब उनका बेटा अपनी पत्नी के साथ किसी दूसरी जगह पर रह रहा है। वह अब उन्हें अवसरों पर नहीं चाहता है और पैसे नहीं भेजता है, हालांकि वह अपनी सास (उसकी पत्नी की मां) को नियमित पैसा भेज रहा है। वे कहते हैं कि हमारे दर्द को कौन सुनेगा और हमारे दुःख को समझेगा, यदि हमारा अपना बच्चा हमारे बारे में नहीं सोचता है तो दूसरा कौन सोचेगा।