जीतू व शोभनू होला, गरीबा का बेटा,
माता त सुमेरा छई, दादी फ्यूँली जौसू।
दादा जी कुंजर छया, भुली शोभनी छई,
जाति को पंवार छयो, जीतू अकलि गँवार,
बगूड़ी जैक भौजी, होंई गैन बगड्वाल!
राज मानशाइन दिने, कमीणा को जामो,
गौ मुंडे को सेरी दिने, गौ मथे को धारो
जीतू रये दादू, मादू उदभातू
राणियों कू रौसिया, रये फूल को हौंसिया।
अणव्याई बेटियों कू, ठाकुरमासो खाये,
बांजा घटू को, वैन, भग्वाड़ी उगाये,
ऊं बांजो भैंस्यों को, पालो लिने परोठो,
जीतू रये भैजी, राजौं को मुसद्दी।
बगुड़ ऐगे भैंजी, उल्या-मुल्या मास,
तब जितेसिंह राजा, धाविड़ी लगौंद-
ओडू़ नेडू़ औंदू, मेरा भुला शोभनू
सोरा-सरीक भुला, सब सेरा सैंक लैन,
कि मलारी को सेरो हमारो-
बाँजो रैगे त, बाँजो मेरा दादू।
तू जायौदू भुला, जोशी का पास,
गाड़ीक लऊ, सुदिन सुवार
सुदिन सुवार लौणा, लुंगला को दिन।
पातुड़ी की भेंट धरे, सेला चौंल पाथी,
धुलेंटी की भेंट धरे, सोवन को टका।
चलोगे शोभनू तब, बरमा का पास,
जाईक माथो नवौन्दो, सेवा लगौंदो
पैलगु पैलगु मेरा बरमा।
चिरंजी जजमान मेरा।
भैंर गाड़ बरमा, धुलेटी पातुड़ी,
धुलेटी पातुड़ी गाड, सुदिन सुवार।
गाडी याले बरमान, धुलेटी पातुड़ी,
देखद देखद बरमा, मुंडली ढगडयोंद,
तेरी राशि नी जूड़दो जजमान
तुमारी बतैन्दी बल, वा वैण शोभनी,
शोभनी क हाथ जूड़े, लुंगला को दिन।
लुंगला को दिन, छै गते अषाढ़।
वावैण मेरी रन्दी, कठैत का गाऊं
चूला कठूड़ तै, बाँका वनगड़।
सोचदू सोचदू तब, घर ऐगे शोभनू
पौंछीगे तब, जीतू का पास-
खरो मानी जदेऊ, मेरा जेठा-पाठा भैजी,
तेरी राशि नी जूड़े दिदा लुंगला को दिन।
हमारी बतैंछ भैजी, वा वैणा शोभनी
शोभनी का हात जूँडे, लुंगला को दिन।
जीतू भिभड़ैकै उठे तब, गए माता के पास,
हे मेरी जिया, हमारी राशि नी जूड़े, लुंगला को दिन!
मैं त जाँदू माता, शोभनी बैदौण।
तू छई जीतू, बावरो बेसुवा,
शोभनी बैदौण जालौ, तेरा भुला शोभनू।
भुला शोभनू होलू माता, बालो अलबूद,
मैं जौलू माता, शोभनी बैदौण।
न्यूतीक बुलौलो, पूजीक पठोलो।
नी जाणू जीतू, त्वैक ह्वैगे असगुन,
तिला बाखरी तेरी, ठक छयू दी।
नि लाणी जिया, त्वैन इनी छुँई,
घर बोड़ी औलो, तिला मारी खोलो।
भैर दे तू मेरो, गंगाजली जामो,
मोडुवा मुन्डयासो दे दूँ, आलमी इजार
घावड्या बाँसुली दे दूँ, नौसुर मुरुली।
न जा मेरा जीतू, कपड़ो तेरो झौली ह्वैन मोसी,
आरस्यो को पाग तेरो, ठनठन टूटे।
त्वैक तई ह्वैगे, जीतू यो असगुन!
माता की अड़ैती जीतू, एक नी माणदू,
लैरेन्द पैरेन्द तब, कांठो मा को-सी सूरीज,
गाड़ को-सी माछो, सर्प को-सी बच्चा,
बाँको वीर छयो, जीतू नामी भड़,
राजौं को माण्यु छयो, रूप् को भर!