The Narendra Singh Negi

The_Narendra_Singh_Negi
  • 9 Jul
  • 2019

The Narendra Singh Negi

नरेंद्र सिंह नेगी जी उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के प्रसिद्ध गायको में से एक हैं। उनकी प्रसिद्धि काअंदाजा आप इस प्रकार से लगा सकते है ,कि यदि आप उत्तराखंड, उसके लोगों, समाज, जीवन, संस्कृति, परंपराओं और राजनीति के बारे में जानना चाहते हैं, तो या तो विद्वानों की पुस्तकों का संदर्भ लें या नरेन्द्र सिंह नेगी के गीतों को सुनें। स्वयं श्री नेगी की एक संस्था उत्तराखंड के सबसे लोकप्रिय कलाकारों में से एक है। उन्हें  मात्र  एक गायक ही नहीं एक कलाकार, एक संगीतकार और एक अच्छे कवि के रूप में जाना जाता है, जिनका अपनी संस्कृति के प्रति अत्यधिक रुझान  है।

 

 

प्रारंभिक जीवन

इनका जन्म  12 अगस्त 1949 को उत्तराखंड  के पौड़ी गढ़वाल जिले के  पौड़ी गाँव में हुआ था। नेगी जी ने अपने करियर की शुरुआत पौड़ी से की थी और अब उन्होंने दुनिया के सभी प्रमुख देशों में अपनी कला को दिखाया है। नेगी जी  को अपने गीतों में मात्रा के बजाय गुणवत्ता में रूचि अधिक है और इसी कारण प्रत्येक पीढ़ी के लोगो द्वारा इनको गीतों को पसंद किया जाता है। बहुत से गायक इसी बीच अपनी प्रतिभाओ को लेकर गायन के इस क्षेत्र में आये और अपनी कलाओ का जादू बिखेरा, परन्तु जो भावनात्मक जुड़ाव इनकी आवाज में झलकता है,वह किसी भी और किसी और गायक की आवाज में नहीं मिलता है। उन्होंने अपने गीतों और आवाज के माध्यम से उत्तराखंडी लोगों के जीवन के सभी दुखों, खुशियों और पहलुओं को गया गया है। उन्होंने उन लोकगीतों की भावना और गरिमा को प्रदर्शित करने वाले सभी तरह के उत्तराखंडी लोक गीत गाए हैं। इसी कारण ये उत्तराखंड के सभी लोगो के सबसे लोकप्रिय गायक में से एक है,

 

निजी जीवन के विषय में बताया जाये तो इनकी पत्नी उषा नेगी है।यह बहुत से स्वादिष्ट उत्तराखंडी व्यंजनों परख रखती है।और सभी जगह इसको प्रचारित और प्रसारित करने के निरंतर प्रयास कर रही है। इसके लिए उन्हें पालमपुर (हिमाचल प्रदेश) में आयोजित हिमालयन एस्टेट फूड फेस्टिवल में भी सराहा गया है। इसके अतिरिक्त इनकी पुत्री ऋतू और पुत्र कविलास है। रितु, उनकी बेटी दिल्ली में MNC में काम कर रही है, जबकि उनके बेटे कविलास ने MBA किया है। । स्वयं नेगी जी जुलाई 2005 तक सूचना और जनसंपर्क विभाग में जिला सूचना अधिकारी के रूप में कार्यरत थे ।

 

 

मुख्य तथ्य
  • नेगी जी ने अपने म्यूजिक कॅरियर की शुरुआत गढवाली गीतमाला से की थी और यह "गढवाली गीतमाला" १० अलग-अलग हिस्सों में थी। जैसे कि यह गढवाली गीतमाला अलग अलग कंपनियो से थी जिसके कारण नेगी जी को थोडी सी दिक्कतों का सामना करना पडा। तो उन्होंने अपनी कॅसेट्टस को अलग नाम से प्रदर्शित करना शुरू किया। उन्होंने पहली अल्बम का नाम (शीर्षक) रखा बुराँस जो कि पहाड़ों में पाया जाने वाला एक जाना माना एवं सुंदर सा फूल है।
  • नेगी जी ने अब तक सबसे ज्यादा गढवाली सुपरहिट अल्बमस् रिलीज की हैं। उन्होंने कई गढवाली फिल्मों में भी अपनी आवाज दी है जैसे कि "चक्रचाल", "घरजवाई", "मेरी गंगा होलि त मैमा आलि" आदि।
  • अब तक नेगी जी '१००० से भी अधिक गाने गा चुके हैं। दुनिया भर में उन्हें कई बार अलग अलग अवसरों पर पुरस्कार से नवाजा गया है।
  • बडे समय के बाद आकाशवाणी, लखनऊ ने नेगी जी को १० अन्य कलाकारों के साथ अत्यधिक लोकप्रिय लोक गीतकार की मान्यता दी है और पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार फरमाइश-ए-गीत के लिए आकाशवाणी को लोगों द्वारा भेजे गए प्राप्त मेल्स् की संख्याओं पर आधारित था।
  • अब तक नेगी जी कई देशों में भी गाया हैं जैसे कि यु°एस°ए ,ऑस्टेलिया कॅनॅडा न्यूजीलैंड ,मसकॅट ,ओमान, बहरीन और यु°ए°इ°)आदि। गढवाली-कुमाऊंनी एन°आर°आई द्वारा संचालित किया जाने वाला "गढवाली और कुमाऊंनी समाज" उन्हें अक्सर विदेशों में गाने के लिए आमंत्रित करते ही रहते हैं। भारत और विदेशों में रहने वाले लोग नेगी जी के गानों को बहुत पसंद करते हैं।
  • नेगी जी केवल वास्तविकता में विश्वास रखते हैं। इसीलिए उनके सभी गाने वास्तविकता पर आधारित होते हैं और इसी कारण नेगी जी उत्तराखण्ड के लोगों के दिल के बहुत करीब है। गढवाली गायक होने के बावजूद नेगी जी को कुमाऊंनी लोग भी उन्हें बहुत पसंद करते हैं।
  • हालाँकि कुमाऊंनी लोगो को गढवाली पूरी तरह से समझ नहीं आती है फिर भी सभी कुमाऊंनी लोग नेगी जी के गानों को बहुत पसंद करते हैं। नेगी जी "गुलजार साहब" के काम को बहुत पसंद करते हैं क्योंकि गुलजार की पुराने व नए रचनाओं में एक गहरा अर्थ होता है।
  • गाना गाने के साथ ही नेगी जी लिखते भी हैं।अब तक नेगी जी की 3 पुस्तके प्रकाशित हो चुकी हैं।
  • नेगी जी की पहली पुस्तक "खुच कंडी " (मतलब: अर्सा और रोट ले जाने के लिए गन्ने से बनाई गई टोकरी) को १९९९ में प्रकाशित किया गया था।
  • उनकी दुसरी पुस्तक "गाणियौं की गंगा, स्यणियौं का समोदर" (मतलब: कल्पनाओं की गंगा, लालसा का समुद्र) को २००० में प्रकाशित किया गया था।
  • उनकी तीसरी पुस्तक मुठ बोटी की राख (मतलब: मुट्ठी बंद करके रखना और तैयार रहना) को "शेखर पाठक" ने प्रकाशित किया था। इस पुस्तक में नेगी जी के सभी आंदोलन गीतों का संग्रह को भी शामिल किया गया था।
  • इसके अलावा उनके चर्चित राजनीतिक गीत 'नौछमी नारेणा' पर 250 पृष्ठों की एक क़िताब 'गाथा एक गीत की: द इनसाइड स्टोरी ऑफ नौछमी नारेणा' वर्ष 2014 में प्रकाशित हो चुकी है और काफी चर्चित रही है। यह पुस्तक श्रीगणेशा पब्लिकेशन दिल्ली ने प्रकाशित की है।
  • कुछ सालों पहले जब टिहरी बांध के टूटने कारण टिहरी नगर पानी में डूब गया था तब नेगी जी ने एक शोकगीत और उत्तराखण्ड राज्य के अलग होते समय भी एक ओज भरा "आंदोलन गीत" गाया था।
  • ९० के दशक में उत्तराखण्ड राज्य के अलग होते समय नेगी जी के गानों ने पहाडी लोगो को अलग राज्य के उद्देश्य के लिए प्रेरित किया।
  • सन २००७ में, कलकत्ता स्थित टेलीग्राफने सन २००६ में उस समय के मुख्यमन्त्री श्री° नारायण दत्त तिवारी और उत्तराखण्ड की पूरी राजनैतिक वर्ग के खिलाफ गाए आंदोलन गीत "नौछमि नरौण" के लिए नेगी जी को पहाड़ों का डायलन' कहा गया।

 

कितने ही गायक आये और गए परन्तु उत्तराखंड संस्कृति के जो नए कीर्तिमान नरेंद्र सिंह नेगी जी ने स्थापित किया है, वह हमारी संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।