रेन्दु मी दिल्ली छौ पर भगवान कसम मन अभी भी घार चा.!!
तुम सोचणा व्हेला मिन यन क्या देखी जो आँखा देखदे रे गिन
अरे भै-बन्धों अब त् उत्तराखंड छौडी कि घिंडुडा भी यख ऐ गिन.!!
मिन पूछी हे भग्यान चखुली तु यख किले ऐई.?
वींन ब्वाल इन पुछण मा शर्म नी आणी त्वेई.??
अरे जब वे उत्तराखंड का तुम ही नी राया,
त् हमर जी क्या हम पर त् पैली फकुड लग्यां छाया.!!
हम त् भोल फजल फर्र उडी की वखी चल जौला,
अरे कूडी पुंगडी त् तुमर बजेणी हम त् कै भी डाला मा बैठ जौला.!!
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मिन बोली यार घंडुडी तु ठीक ब्वनी छैई,
हम त् मजबुर छाई पर तु यख किले ऐई.?
घंडुडी न ब्वाल कंदूड खोल मनखी मेर बात सूण.?
आज बचे सकदा उत्तराखंड त् बचे ल्या निथर तुमल बाद मा कपाल पकडी की रूण.??
मेरी बिरादरी का चखुला भाबरु मा ऐ गैनी
बस व्हे उत्तराखंड मा अब द्वी चार कांणा गरुढ रै गैनी.?
बाटु हेनी छिन डाली बोटी अर पंदेरु कु पाणी
चार दिना का झूठा सुख मा कैथे याद नी आणी.!
बाहरा गौं की ग्रामसभा मा बाहरा मनखी नी राई
समझ नी आन्दी ये देवभूमी पर कैकी नजर लग ग्याई,!
मी त् स्वींणो मा भी यख नी आन्दु मित रैबार दिणा कु औंऊ भोल फजल मी उडी की अपर पहाड चल जोलु
भूखी म्वोर जोलु पर कभी अपर पहाड छौडी नी ओलुं.? मी पहाड छौडी नी ओलु.?
मिन बोली फिक चखुली खुणी कि
त्वेकु नमन च चखुली म्यारु मी त्वे मिलणा कु ओलु,
आज कसम खाणु छौ मी अपडी भाषा म्वरण नी दोल्यु...