New Revolution In Uttarakhand Culture

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  • 1 May
  • 2019

New Revolution In Uttarakhand Culture

स्टेफेन फिऑल का जन्म अमेरिका मैं हुआ था,  ये अमेरिका के सिनसिनाटी विश्यविद्यालय (ओहियो) में संगीत के प्राध्यापक है। उत्तराखंड मैं २००३ मैं आये और उत्तराखंडी संगीत का अध्यन करने के ले रुद्रप्रयाग स्थित नक्षत्र वेदशाला शोधकेंद्र में योगाचार्य भास्कर जोशी से ढोल सागर के इतिहास तथा उसकी बारीकियों का अध्यन किया। व सिद्धहस्त लोक वादकों के विषय मैं जानकारी प्राप्त की,
१४ वर्षो तक उत्तराखंड मैं रहने के बाद यह की संस्कृति पारम्परिक वाद्य यन्त्र (ढोल, दमऊ )को लोकवादक सोहनलाल (उजार ग्राम, देवप्रयाग )से सीखा , समझा, और अपनाया।
इतने समय उत्तराखंड  मैं रहने के बाद यहा से इतने प्रभवित हुए की  उन्होंने अपना  नाम बदल कर  फ्युलिदास कर दिया।  यह रहकर हिंदी के साथ साथ बहुत अच्छी  गढ़वाली बोलना भी सीख़  गए।

प्रीतम भरतवाण (उत्तराखंडी लोक गीतकार ) के नारंगा सारंगा एल्बम के जागर मैं आप स्टेफेन  को देख सकते है , प्रीतम भरतवाण  के साथ  मिलकर अमेरिका की सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ मिलकर ढोल दमाऊ  और उत्तराखंडी संस्कृति के कार्यक्रम किये और अपने जागरो का रंग बिखेरा।

 

 

स्टेफेन ने उत्तराखंड की वाद्य यन्त्र (ढोल दमाऊ )के विषय मैं एक पुस्तक Himalayan Beats लिख चुके है ,यह ढोल दमाऊ की विधा को सहेजने वाला ऐतिहासिक दस्तावेज बन गया है।

यह लोक संगीत का उत्पादन करने वाले गढ़वाली कलाकारों के जीवन और कार्य की पड़ताल करता है। ये संगीतकार कला को एक अलग विचार और अलग-अलग ऐतिहासिक और सांस्कृतिक सेटिंग्स में अभिव्यक्तिपूर्ण प्रथाओं का एक सेट बनाते हैं। दिल्ली रिकॉर्डिंग स्टूडियो के साथ हिमालयी गांवों में प्रदर्शन संदर्भों का जुड़ाव, फिओल दिखाता है कि अभ्यास मूल्यों और अपेक्षाओं की साइटों के बीच और उसके बीच कैसे उभरे हैं। पूरे दौरान, वह लोककथाओं की प्रक्रियाओं का नेतृत्व करते हुए ऊपरी जाति, ऊपरी वर्ग, पुरुष कलाकारों के विभिन्न दृष्टिकोण और जटिल जीवन प्रस्तुत करता है। लेकिन वह महिलाओं के दृष्टिकोण और आनुवंशिक संगीतकारों के प्रभावों से प्रभावित होने के दृष्टिकोण के साथ उनके अनुनाद और टक्कर के साथ भी दर्शाता है।

यह पर समाप्ति मैं यही निष्कर्ष निकलता है, की व्यक्ति अपनी मुलभुत आवश्यकताओं के लिए पलायन तो कर रहे है, साथ हे एक ऐसी संस्कृति और विरासत को भूल रहे है , जो की हमारा आधार है. स्टेफेन के जीवन से यही प्रेरणा ली जा सकती है कि, एक संस्कृति जो विस्मृत हो रही है.. वह वास्तव मैं कितनी महान  है। और उससे बहुत  कुछ सीखा जा सकता है