पहाड़ों के आँचल में, चीड़ के वृक्षों से घिरा...
अनुपम अलौकिक, सौन्दर्य से सुसज्जित है।
मेरा गाँव…!
सूरज की किरणें वृक्ष की लताओं से छीजकर...
मेरे घर के आँगन में मंदिम लाली बिखेरती है।
शांत वातावरण के बीच कोयल की मधुर आवाज़...
मेरे हृदय में उतर जाती है।
पहाड़ों के गर्भ से निकलता शीतल कोमल जल...
स्वच्छंद हवा मेरे मन तक को छू जाती है।
मंडुये की रोटी और सरसों का साग...
देशी घी, मठ्ठे के साथ, आह ! कितना स्वाद !
हरियाली सुन्दर फूलों की सुगन्ध से...
भरपूर है मेरा गाँव…!